
ओडिशा के गंजम जिले स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय (JNV) के 18 स्कूली खिलाड़ी नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। मैदान में इन्होंने दमखम दिखाया, लेकिन वापसी के सफर ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी।
ट्रेन में टिकट नहीं, मजबूरी में टॉयलेट के पास सफर
चैंपियनशिप खत्म होने के बाद इन खिलाड़ियों और उनके 4 कोच के ट्रेन टिकट कन्फर्म नहीं हो सके। नतीजा यह हुआ कि बच्चों को जनरल कोच में टॉयलेट के पास बैठकर 20 घंटे से ज्यादा का सफर करना पड़ा।
ठंड, गंदगी, भीड़ और बदबू— यह वही देश है जो मंचों पर “खेलो इंडिया” की बात करता है।
वीडियो वायरल, सिस्टम पर उठे सवाल
इस अमानवीय सफर का वीडियो ट्रेन के अंदर से सामने आया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि बच्चे बैग्स के बीच जमीन पर बैठे हैं, कुछ तो टॉयलेट के ठीक सामने।
यह सिर्फ असुविधा नहीं, बच्चों की गरिमा और सुरक्षा पर सीधा सवाल है।

शिक्षा मंत्री ने माना “शर्मनाक”
मामला सामने आने के बाद शिक्षा मंत्री ने इसे “शर्मनाक और अमानवीय” बताया और पूरे घटनाक्रम की जांच के आदेश दिए हैं।
लेकिन सवाल यह है— जांच के बाद क्या सिस्टम बदलेगा या फिर यह भी फाइलों में दफन हो जाएगा?
बड़ा सवाल: क्या नेशनल लेवल खिलाड़ियों के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं?
नेशनल लेवल पर खेलने वाले बच्चे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। स्कूल और राज्य का नाम रोशन करते हैं। फिर भी उन्हें बुनियादी सुविधा और सम्मान तक नहीं मिल पा रहा। यह घटना सिर्फ ओडिशा नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए आईना है।
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